दंगों के सौदागर
दुनिया के सभी देश दंगों की बिमारी से ग्रसित है।
कहीं गोरों और कालों के बीच लड़ाई -दंगे होते हैं तो कहीं इसाई और मुसलामानों के बीच।
हमारे देश में अधिकतर दंगे हिन्दू और मुसलामानों के बीच होने के साथ-साथ कहीं कहीं इसाई समुदाय के साथ भी हो रहे हैं।
दुनिया भर में सबसे अधिक दंगे मेरे मुस्लिम भाइयों के दो समुदायों के बीचआपस में होते आये हैं।
वैसे तो मुस्लिम समाज कई समुदायों में बंटा हुआ है ,किन्तु दो समुदाय मुक्ष हैं और विश्व -व्यापी हैं ,
सुन्नी और शिया।
जहां मुसलमान हैं वहाँ सुन्नी भी हैं तो शिया भी हैं।
यह दोनों समुदाय और इसके लोग आपस में कभी भी अमन -चैन से नहीं रहते। इतिहास गवाह है कि दुनिया भर के मज़हबी दंगों में सब से बड़ा हिस्सा इन्हीं दोनों समुदायों के आपसी दंगों का होता है।
इस धरती पर समय-समय पर पैगम्बरों और अवतारों ने जन्म लिया।
जितने भी अवतार हुए या पैगम्बर हुए सबने अपने-अपने समय में इंसानियत को बढ़ावा देने के लिए प्यार और शान्ति का सन्देश दिया।
अवतारों और पैगम्बरों के पीछे नए-नए धर्म बने।
हर धर्म के सिद्धांत कमोबेश एक से हैं और मनुष्य मात्र को हैवानियत छोड़कर इंसानियत अपनाने को कहते हैं।
लेकिन जैसे इंसान में जमीन जायदाद के लिए लालच होता है वैसे ही धर्म के ठेकेदारों में अपने चेलों की तादाद बढाने का लालच होता है।
जहां हर धर्म घमंड छोड़ कर भाई चारा बढाने की शिक्षा देता है , मानव मात्र के प्रति प्रेम और समभाव की शिक्षा देता है वहीं उसी धर्म के ठेकेदार अपने -अपने धर्म के मूल सिद्धांतों को दर-किनार करके सिर्फ और सिर्फ अपने ही धर्म को अपनी ही पूजा पद्धति को ज्यादा बड़ा , ज़्यादा महान बताते हुए दुसरे धर्मों को और दुसरे धर्मावलम्बियों को निम्न कोटि का बताते हैं।
इस प्रकार ( सही मायनों में ) ये धर्म के ठेकेदार खुद अपने ही धर्म के सिद्धांतों को भुला कर प्यार और भाई-चारा छोड़ कर नफरत की फसल बोते और काटते रहते हैं
युगों - युगों से मनुष्य नफरत की आग में जल रहा है।
जब-जब नफरत बढती है कोई ना कोई युग पुरुष प्रकट होता है और दुनिया को प्यार और मोहब्बत पर चलाने की कोशिश करता है।
लेकिन अफ़सोस उसके महाप्रयाण के बाद उसके चेले उसके ही नाम की जय-जय कार करते हुए उस की महानता के गीत गाते हुए दुसरे सम्प्रदाय के लोगों का गला काटने लगते हैं , क्योंकि उन्हें अपने पैगम्बर के सिवाय किसी दुसरे पैगम्बर के अनुयायियों की मौजूदगी सहन नहीं होती।
ये सिलसिला थमता नज़र नहीं आता।
इसीलिए और इसी नफरत की ताकत के बल पर आज के राजनीतिज्ञ वोट-बेंक की राजनीति अपना रहे हैं।
देश -समाज या इंसानियत से किसी को कोई मतलब नहीं।
सिर्फ और सिर्फ यही वजह है कि कोई विशवास नहीं कर पा रहा कि मोदी जी सद्भाव और समभाव की निति चला पायेंगे।
किन्तु समय की पुकार है की हमें इस महान व्यक्ति को भी एक मौका तो देना ही चाहिए
दुनिया के सभी देश दंगों की बिमारी से ग्रसित है।
कहीं गोरों और कालों के बीच लड़ाई -दंगे होते हैं तो कहीं इसाई और मुसलामानों के बीच।
हमारे देश में अधिकतर दंगे हिन्दू और मुसलामानों के बीच होने के साथ-साथ कहीं कहीं इसाई समुदाय के साथ भी हो रहे हैं।
दुनिया भर में सबसे अधिक दंगे मेरे मुस्लिम भाइयों के दो समुदायों के बीचआपस में होते आये हैं।
वैसे तो मुस्लिम समाज कई समुदायों में बंटा हुआ है ,किन्तु दो समुदाय मुक्ष हैं और विश्व -व्यापी हैं ,
सुन्नी और शिया।
जहां मुसलमान हैं वहाँ सुन्नी भी हैं तो शिया भी हैं।
यह दोनों समुदाय और इसके लोग आपस में कभी भी अमन -चैन से नहीं रहते। इतिहास गवाह है कि दुनिया भर के मज़हबी दंगों में सब से बड़ा हिस्सा इन्हीं दोनों समुदायों के आपसी दंगों का होता है।
इस धरती पर समय-समय पर पैगम्बरों और अवतारों ने जन्म लिया।
जितने भी अवतार हुए या पैगम्बर हुए सबने अपने-अपने समय में इंसानियत को बढ़ावा देने के लिए प्यार और शान्ति का सन्देश दिया।
अवतारों और पैगम्बरों के पीछे नए-नए धर्म बने।
हर धर्म के सिद्धांत कमोबेश एक से हैं और मनुष्य मात्र को हैवानियत छोड़कर इंसानियत अपनाने को कहते हैं।
लेकिन जैसे इंसान में जमीन जायदाद के लिए लालच होता है वैसे ही धर्म के ठेकेदारों में अपने चेलों की तादाद बढाने का लालच होता है।
जहां हर धर्म घमंड छोड़ कर भाई चारा बढाने की शिक्षा देता है , मानव मात्र के प्रति प्रेम और समभाव की शिक्षा देता है वहीं उसी धर्म के ठेकेदार अपने -अपने धर्म के मूल सिद्धांतों को दर-किनार करके सिर्फ और सिर्फ अपने ही धर्म को अपनी ही पूजा पद्धति को ज्यादा बड़ा , ज़्यादा महान बताते हुए दुसरे धर्मों को और दुसरे धर्मावलम्बियों को निम्न कोटि का बताते हैं।
इस प्रकार ( सही मायनों में ) ये धर्म के ठेकेदार खुद अपने ही धर्म के सिद्धांतों को भुला कर प्यार और भाई-चारा छोड़ कर नफरत की फसल बोते और काटते रहते हैं
युगों - युगों से मनुष्य नफरत की आग में जल रहा है।
जब-जब नफरत बढती है कोई ना कोई युग पुरुष प्रकट होता है और दुनिया को प्यार और मोहब्बत पर चलाने की कोशिश करता है।
लेकिन अफ़सोस उसके महाप्रयाण के बाद उसके चेले उसके ही नाम की जय-जय कार करते हुए उस की महानता के गीत गाते हुए दुसरे सम्प्रदाय के लोगों का गला काटने लगते हैं , क्योंकि उन्हें अपने पैगम्बर के सिवाय किसी दुसरे पैगम्बर के अनुयायियों की मौजूदगी सहन नहीं होती।
ये सिलसिला थमता नज़र नहीं आता।
इसीलिए और इसी नफरत की ताकत के बल पर आज के राजनीतिज्ञ वोट-बेंक की राजनीति अपना रहे हैं।
देश -समाज या इंसानियत से किसी को कोई मतलब नहीं।
सिर्फ और सिर्फ यही वजह है कि कोई विशवास नहीं कर पा रहा कि मोदी जी सद्भाव और समभाव की निति चला पायेंगे।
किन्तु समय की पुकार है की हमें इस महान व्यक्ति को भी एक मौका तो देना ही चाहिए